मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ब्रिटिश सरकार ने मंगलवार को कहा कि अश्लील ‘डीपफेक’ सामग्री बनाने वाले लोगों को एक नए कानून के तहत मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। यह कानून इस समय संसदीय प्रक्रिया से गुजर रहा है। ‘डीपफेक’ से आशय ऐसी छवियों और वीडियो से है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)अथवा अन्य तकनीकों से तैयार की जाती हैं और जिसमें आमतौर पर पीड़ित की सहमति नहीं होती।
मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, नए कानून के तहत बिना सहमति के इस तरह की तस्वीरें बनाने वाले लोगों को आपराधिक कार्यवाही और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। कानून में प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार अगर ‘डीपफेक’ सामग्री व्यापक रूप से फैल जाती है तो दोषियों को जेल भेजा जा सकता है। ब्रिटेन की मंत्री लौरा फेरिस ने कहा, ”डीपफेक से बनाई गईं अश्लील तस्वीरें निंदनीय और पूरी तरह अस्वीकार्य हैं।”
जानकारी के अनुसार, डीपफेक वीडियो देखने में लगभग असली की तरह लगता है, लेकिन उसे पहचानना नामुमकिन नहीं है। ऐसे वीडियो को पहचानने के लिए बहुत बारीक निगाह रखने की जरूरत है। वीडियो में किसी के चेहरे से एक्सप्रेशन, आंखों की मूवमेंट और बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान देकर डीपफेक वीडियो को पहचाना जा सकता है। इसके अलावा बॉडी कलर से भी डीप फेक वीडियो की सत्यता की पुष्टि की जा सकती है। साधारणतया ऐसे फोटो और वीडियो में चेहरे और बॉडी का कलर थोड़ा सा मिसमैच होता है।
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