भारत और न्यूजीलैंड ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट वार्ता संपन्न होने की घोषणा की

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भारत और न्यूजीलैंड ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट वार्ता संपन्न होने की घोषणा की
Image Source : @PiyushGoyal

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत और न्यूजीलैंड ने एक व्यापक, संतुलित और भविष्योन्मुखी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत की सहभागिता में एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक उपलब्धि है। यह ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण अनुरूप, भारत के सबसे शीघ्र संपन्न हुए मुक्त व्यापार समझौतों में से एक है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार एवं निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के बीच हुई बैठक के दौरान 16 मार्च 2025 को औपचारिक वार्ता का शुभारंभ हुआ। 5 औपचारिक दौर की वार्ताओं और कई आभासी बैठकों के बाद निरंतर चर्चाओं के माध्यम से यह समझौता संपन्न हुआ। इस मुक्त व्यापार समझौते के तहत आर्थिक साझेदारी रोजगार को बढ़ावा देती है, कौशल गतिशीलता को सुगम बनाती है, व्यापार एवं निवेश आधारित विकास को गति देती है, कृषि उत्पादकता के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करती है और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भागीदारी को बढ़ावा देती है। व्यापार एवं निवेश मंत्री पीयूष गोयल ने समझौता वार्ता संपन्न होने पर कहा, “यह मुक्त व्यापार समझौता व्यापार को बढ़ावा देने, हमारे किसानों, उद्यमियों, छात्रों, महिलाओं और नवप्रवर्तकों के लिए नए अवसरों के साथ उपज और किसानों की आय को बढ़ाते हुए आधुनिक कृषि उत्पादकता को गति देता है। यह समझौता सुव्यवस्थित निर्यात के माध्यम से भारतीय व्यवसायों के लिए द्वार खोलता है और हमारे युवाओं को वैश्विक मंच पर सीखने, काम करने और आगे बढ़ने के विकल्प प्रदान करता है।” शत-प्रतिशत टैरिफ हटाने से भारत के सभी निर्यातों पर शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच प्राप्त होती है। यह बाजार पहुंच वस्त्र, परिधान, चमड़ा, जूते, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण, हस्तशिल्प, इंजीनियरिंग सामान और ऑटोमोबाइल सहित भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाती है, जिससे भारतीय श्रमिकों, कारीगरों, महिलाओं, युवाओं और लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रत्यक्ष रूप से सहायता मिलती है और वे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत होते हैं। यह मुक्त व्यापार समझौता न्यूजीलैंड के अब तक के सभी मुक्त व्यापार समझौतों में सबसे महत्वाकांक्षी सेवा प्रस्ताव है। भारत ने आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं, पेशेवर सेवाओं, शिक्षा, वित्तीय सेवाओं, पर्यटन, निर्माण और अन्य व्यावसायिक सेवाओं सहित कई उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं हासिल की हैं, जिससे भारतीय सेवा प्रदाताओं और कुशल रोजगार के क्षेत्रों के लिए पर्याप्त नए अवसर खुल गए हैं। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने इसे “शुल्क, कृषि उत्पादकता, निवेश और प्रतिभा पर आधारित एक नई पीढ़ी का व्यापार समझौता बताया। भारत की क्षमता निर्यात को बढ़ावा देती हैं, श्रम-प्रधान विकास को समर्थन देती हैं और सेवाओं को सशक्त बनाती हैं। न्यूजीलैंड की भारत की विशाल और बढ़ती अर्थव्यवस्था तक अधिक पहुंच छात्रों, पेशेवरों और कुशल श्रमिकों की आवाजाही को एकजुट करती है।” भविष्योन्मुखी और सुगम आवागमन ढांचा भारत को कुशल और अर्ध-कुशल प्रतिभाओं के प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करता है। यह समझौता भारतीय पेशेवरों, छात्रों और युवाओं के लिए प्रवेश और ठहरने के बेहतर विकल्प प्रदान करता है, जिसमें अध्ययन के दौरान कार्य के अवसर, अध्ययन के बाद कार्य के रास्ते, विशेष वीजा व्यवस्था और वर्किंग हॉलिडे वीजा ढांचा शामिल हैं। इससे लोगों के बीच संबंध मजबूत होते हैं और भारतीय युवाओं के वैश्विक अनुभव का विस्तार होता है। मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारतीय कुशल पेशेवरों के लिए एक नए अस्थायी रोजगार प्रवेश वीजा के माध्यम से रोजगार के नए रास्ते खुल गए हैं। इस वीजा के तहत एक समय में 5,000 वीजा जारी किए जाते हैं और अधिकतम तीन साल तक के लिए रहने की अनुमति दी जाती है। यह वीजा आयुष चिकित्सकों, योग प्रशिक्षकों, भारतीय रसोइयों और संगीत शिक्षकों के साथ-साथ आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और निर्माण क्षेत्र के पेशेवरों के लिए है, जिससे कार्यबल की गतिशीलता और सेवा व्यापार को मजबूती मिलती है। कीवी फल, सेब और शहद के लिए कृषि-प्रौद्योगिकी कार्य योजनाओं की स्थापना, उत्पादकता वृद्धि, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान सहयोग, गुणवत्ता सुधार और मूल्य श्रृंखला विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने और भारतीय किसानों की आय वृद्धि में सहयोग प्रदान करेगी। इस सहयोग में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, उन्नत रोपण सामग्री, उत्पादकों के लिए क्षमता निर्माण और बाग प्रबंधन, फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाओं, आपूर्ति श्रृंखला प्रदर्शन और खाद्य सुरक्षा के लिए तकनीकी सहायता शामिल है। सेब उत्पादकों और मधुमक्खी पालन विधियों के लिए परियोजनाएं उत्पादन और गुणवत्ता मानकों को बढ़ाएंगी।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच निवेश साझेदारी को काफी मजबूत करता है। न्यूजीलैंड ने अगले पंद्रह वर्षों में भारत में 20 बिलियन डॉलर के निवेश को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिससे भारत के ‘मेक इन इंडिया’ विजन के तहत विनिर्माण, बुनियादी ढांचे, सेवाओं, नवाचार और रोजगार को समर्थन मिलेगा। न्यूजीलैंड में अपनी उपस्थिति से भारतीय उद्यमों को भी लाभ मिलने की उम्मीद है जिससे वे व्यापक प्रशांत द्वीपीय बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। भारत के फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइसेस उद्योग को नियामक प्रक्रिया के माध्यम से बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए यूएस एफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए और अन्य समकक्ष नियामकों द्वारा जारी अनुमोदन सहित समान नियामकों से जीएमपी और जीसीपी निरीक्षण रिपोर्टों की स्वीकृति को सक्षम बनाया जाएगा। इससे दोहराव वाले निरीक्षण कम होंगे, अनुपालन लागत में कमी आएगी और उत्पाद अनुमोदन में तेजी आएगी, जिससे न्यूजीलैंड में भारत के फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइसेस के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। भौगोलिक संकेतकों पर प्रतिबद्धता को बढ़ाया गया है, जिसमें भारत की वाइन, स्पिरिट और ‘अन्य वस्तुओं’ के पंजीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए इसके कानून में संशोधन करना शामिल है, यह लाभ न्यूजीलैंड द्वारा यूरोपीय संघ को दिया गया था – जिसे निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है। आयुष, संस्कृति, मत्स्य पालन, ऑडियो विजुअल पर्यटन, वानिकी, बागवानी और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति बनी है। यह मुक्त व्यापार समझौता भारत की आयुष प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देता है, चिकित्सा महत्व वाली यात्राओं को प्रोत्साहित करता है और भारत को वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में स्थापित करता है। टैरिफ के उदारीकरण के अलावा, मुक्त व्यापार समझौते में बेहतर नियामक सहयोग, पारदर्शिता और सुव्यवस्थित सीमा शुल्क, स्वच्छता और पादप-स्वच्छता (एसपीएस) उपायों तथा व्यापार में तकनीकी बाधाओं से संबंधित नियमों के माध्यम से गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने के प्रावधान शामिल हैं। हमारे विनिर्मित निर्यातों के लिए इनपुट के रूप में काम करने वाले आयातों के लिए सभी प्रणालीगत सुविधाएं और प्रक्रिया तंत्र तथा टैरिफ रियायतें प्रभावी और सार्थक बाजार में पहुंच सुनिश्चित करते हैं। भारत-न्यूजीलैंड के आर्थिक संबंधों में लगातार प्रगति देखी गई है। द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2024-25 में 1.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार वर्ष 2024 में लगभग 2.4 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें यात्रा, आईटी और व्यावसायिक सेवाओं के नेतृत्व में सेवाओं का व्यापार अकेले 1.24 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दोनों देशों की क्षमता को दर्शाने के लिए एक स्थिर और पूर्वानुमानित ढांचा प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस वर्ष संपन्न हुआ भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता एक नई पीढ़ी की व्यापार साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है। यह विकसित भारत 2047 की परिकल्पना के तहत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, समावेशी और लचीली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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