मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने हिंद महासागर के कार्ल्सबर्ग रिज में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड-पीएमएस तलाशने संबंधी विशेष अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण-आईएसए और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच 15 वर्ष के नए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाने की घोषणा की। अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण की महासचिव लेटिसिया रीस-डी-कार्वाल्हो फिलहाल भारत के दौरे पर हैं। उनकी उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस हस्ताक्षर के साथ भारत पीएमएस खोज के लिए आईएसए के साथ दो अनुबंध रखने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। मध्य-भारतीय रिज और दक्षिण-पश्चिम भारतीय रिज में पीएमएस खोज के लिए पहला अनुबंध और दूसरा अनुबंध कार्ल्सबर्ग रिज में खोज के लिए है। पॉलीमेटेलिक सल्फाइड में लोहा, तांबा, जस्ता, चांदी, सोना और प्लेटिनम जैसे मूल्यवान धातु होते हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि नया अनुबंध प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए गहरे समुद्री मिशन के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह अनुबंध समुद्री खनिज अन्वेषण, खनन प्रौद्योगिकी विकास और भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था पहल को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पॉलीमेटेलिक सल्फाइड के दो अनुबंध के साथ भारत को अंतर्राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण में विशाल अन्वेषण क्षेत्र भी आवंटित किया गया है।
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