मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में एक ऐतिहासिक सुनवाई के दौरान जलवायु संकट पैदा करने के लिए विकसित देशों की आलोचना की और कहा कि उन्होंने वैश्विक कार्बन बजट का दोहन किया और जलवायु-वित्त के वादों का सम्मान करने में विफल रहे। इतना ही नहीं विकसित देश अब मांग कर रहे हैं कि विकासशील देश अपने संसाधनों के उपयोग को सीमित करें। उल्लेखनीय है आइसीजे इस बात की जांच कर रही है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए देशों के पास क्या कानूनी दायित्व हैं और यदि वे असफल होते हैं तो इसके क्या परिणाम होंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत ने आइसीजे से मौजूदा जलवायु-परिवर्तन ढांचे से परे नए दायित्व बनाने से बचने का भी आग्रह किया। भारत की ओर से दलील देते हुए विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव लूथर एम रंगरेजी ने कहा कि मौजूदा जलवायु-परिवर्तन व्यवस्था के तहत पहले से ही सहमति से परे नए या अतिरिक्त दायित्वों को तैयार करने से बचने के लिए उचित सावधानी बरत सकती है।
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