मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने शनिवार को कहा कि भारत-बांग्लादेश की एक संयुक्त तकनीकी समिति गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण के लिए चर्चा शुरू करेगी। इसके अलावा भारतीय सहायता से बांग्लादेश में तीस्ता नदी का संरक्षण और प्रबंधन भी किया जाएगा। रिवर मैनेजमेंट पर द्विपक्षीय साझेदारी को लेकर क्वात्रा ने कहा कि साझा नदियां और उनका उचित प्रबंधन भारत और बांग्लादेश के लिए अहम है। दोनों देशों के बीच तीस्ता एक अहम मुद्दा है। क्वात्रा ने कहा कि 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण पर चर्चा के लिए एक संयुक्त तकनीकी समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा तीस्ता नदी का संरक्षण और प्रबंधन में भी भारत मदद करेगा। तीस्ता नदी में छोटे-छोटे द्वीपों का एक नेटवर्क हैं, जो हिमालय से बहकर आई भारी मात्रा में तलछट के नदी तल पर जमा होने से बने हैं। इससे मानसून के दौरान वहां अक्सर बाढ़ आती है और शुष्क मौसम में नदी बेसिन में पानी की कमी हो जाती है। क्वात्रा ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ भी सहयोग बढ़ाएंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, दरअसल तीस्ता नदी पर चीन की भी नजर है। शेख हसीना के वर्तमान दौरे को ढाका और चीन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इसलिए 15 दिन के अंदर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री का भारत में यह दूसरा दौरा है। इससे पहले वह प्रधानमंत्री मोदी के शपथग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 9 जून को भी नई दिल्ली आई थीं। मौजूदा भारत दौरे के बाद अगले महीने शेख हसीना को चीन जाना है। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने अपने देश की संसद में हाल ही में तीस्ता मास्टर प्लान बनाने के लिए चीन से कर्ज लेने पर बयान दिया था। मई में भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा की बांग्लादेश यात्रा के समय भारत ने तीस्ता नदी पर बांध बनाने में मदद का प्रस्ताव दिया था। ऐसे में चीन के प्रस्ताव पर कदम उठाने से पहले भारत से वह स्पष्टता की उम्मीद करेंगी। क्वात्रा ने कहा कि दोनों देशों ने समय समय पर विभिन्न स्तरों पर रोहिंग्या के मुद्दे पर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं को पहले भी मानवीय सहायता प्रदान की गई हैं। क्वात्रा ने कहा कि रोहिंग्या के मुद्दे पर भारत बांग्लादेश के साथ मिलकर आगे भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश रोहिंग्या से जड़े कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनमें से कुछ चुनौतियां हमारे सामने भी हैं और इसलिए उन मुद्दों पर भी दोनों नेताओं में विमर्श हुआ है। भारत ने एक करोड़ से अधिक बांग्लादेशियों के लिए अपनी सीमा खोली है ताकि पाकिस्तानी सैनिकों ने 1970 की शुरुआत में जो निर्दयता दिखाई, उससे बचा जा सके। उल्लेखनीय है कि भारत किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते का अधोहस्ताक्षरी नहीं है, फिर भी भारत सरकार ने इन शरणार्थियों की मदद की और आर्थिक सहायता मुहैया कराई।
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