मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि भारत में टीबी के मामले (प्रत्येक वर्ष सामने आने वाले नए मामले) 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 237 से 21% घटकर 2024 में प्रति लाख जनसंख्या पर 187 हो जाएंगे, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2025 के अनुसार वैश्विक स्तर पर देखी गई 12% की गिरावट की गति से लगभग दोगुना है। उन्होंने कहा कि भारत की मृत्यु दर 2015 में 28 प्रति लाख से घटकर 2024 में 21 प्रति लाख हो जाएगी। उन्होंने मंगलवार को विस्तारित संसद भवन एनेक्सी (ईपीएचए) सभागार में कहा, “भारत की टीबी मृत्यु दर 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से घटकर 2024 में प्रति लाख जनसंख्या पर 21 हो गई है, जो टीबी के कारण होने वाली मौतों को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है।” जेपी नड्डा के साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, वाणिज्य एवं उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और विदेश, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह भी शामिल हुए। इस दिन सांसदों के साथ संवाद की श्रृंखला की पहली बैठक हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश के सांसदों पर विशेष ध्यान दिया गया। राज्य के सांसदों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अभियान को आगे बढ़ाने तथा अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सामुदायिक लामबंदी के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। सांसदों को अभियान के उद्देश्यों, की जा रही प्रमुख गतिविधियों और अभियान के समर्थन में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी गई।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सांसदों की महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने सांसदों से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इस अभियान की निगरानी करने, जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से जुड़े कलंक को कम करने, तथा समुदाय को इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। सांसदों को पिछले दस वर्षों में शुरू किए गए कई नए उपायों के बारे में जानकारी दी गई, जिनमें एआई-सक्षम हैंड-हेल्ड चेस्ट एक्स-रे मशीन और ट्रूनेट मशीन जैसी नई प्रौद्योगिकियों का तेजी से उपयोग, अधिक प्रभावी, कम समय के उपचार को अपनाना, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के नेटवर्क के माध्यम से टीबी देखभाल का विकेन्द्रीकरण, सामुदायिक सहभागिता आदि शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने टीबी उन्मूलन प्रयासों की सफलता के लिए जमीनी स्तर पर टीबी जांच सेवाओं के और अधिक प्रसार तथा जागरूकता सृजन के महत्व पर जोर दिया तथा सांसदों को इन प्रयासों को समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि इसे एक जन आंदोलन बनाया जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने देश में टीबी के बोझ को कम करने के लिए अभियान के महत्व को रेखांकित किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के टीबी उन्मूलन अभियान का अवलोकन प्रस्तुत किया।
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