मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद गिरफ्तार किए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजीव हंस के निलंबन के प्रस्ताव को कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने दी मंजूरी प्रदान कर दी है। इस आशय का प्रस्ताव संजीव हंस की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को भेजा था। फिलहाल वह बेऊर जेल में न्यायिक हिरासत में है। अब उनके निलंबन की अधिसूचना विधिवत सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की जाएगी। हंस की निलंबन अवधि 18 अक्टूबर 2024 से मान्य होगी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने आईएएस संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव को 18 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। तब से वे जेल में ही हैं। उनकी गिरफ्तार करने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें सभी प्रशासनिक पदों से हटा दिया था। उस समय वे ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के एमडी के पद पर थे। अब केंद्र सरकार की अनुमति के बाद उनके निलंबन की कार्रवाई की गई है। संजीव हंस पर प्रवर्तन निदेशालय ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से धन इकट्ठा करने का आरोप लगाया है। ईडी की जांच के अनुसार, संजीव हंस ने वर्ष 2018 से 2023 के बीच बिहार सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए इन्होंने भ्रष्ट तरीके से धन जमा किया। यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों और परिवार के माध्यम से अवैध संपत्ति अर्जित की। हंस और गुलाब को गिरफ्तार करने के पूर्व ईडी ने पटना, दिल्ली, जयपुर, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में उनके सहयोगियों से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बड़े पैमाने पर संदिग्ध दस्तावेज और संपत्ति से जुड़े सबूत बरामद किए गए थे। ईडी ने संजीव हंस की पत्नी और उनके साले से भी पूछताछ की थी।
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