मप्र: सीएम शिवराज सिंह ने 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वेलनेस केंद्र तथा रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का किया लोकार्पण

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मप्र: सीएम शिवराज सिंह ने 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वेलनेस केंद्र तथा रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का किया लोकार्पण
मप्र: सीएम शिवराज सिंह ने 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वेलनेस केंद्र तथा रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का किया लोकार्पण Image Source: Twitter @OfficeofSSC

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार,  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के अंतर्गत पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेदिक संस्थान, भोपाल के 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वैलनेस केंद्र एवं रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का लोकार्पण किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि – “कोविड के बाद पूरी दुनिया में आयुर्वेद का डंका बज रहा है। कोविड आया तो कोई और रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था, ऐसे में आयुर्वेद और योग के रूप में देश और दुनिया को रास्ता मिला। भारत के गांव-गांव में इलाज के लिए आयुर्वेद पर ही विश्वास किया गया। आयुर्वेद के माध्यम से गांव में ही जड़ी-बूटियों से बीमारियों का इलाज आसानी से होता रहा है। हमारे वैद्य इतने कुशल होते हैं कि नाड़ी से ही बीमारी का पता लगाकर इलाज करते हैं।”

मप्र: सीएम शिवराज सिंह ने 50 बिस्तरीय पंचकर्म सुपर स्पेशलिटी एवं वेलनेस केंद्र तथा रजत जयंती ऑडिटोरियम भवन का किया लोकार्पण

उन्होंने आगे कहा कि – “आयुर्वेद में केवल इलाज ही नहीं बताया गया है, बल्कि स्वस्थ कैसे रहें? यह भी बताया गया है। एलोपैथी की अपनी उपयोगिता है, लेकिन आयुर्वेद एक संपूर्ण विधा है। आयुर्वेद के क्षेत्र में गहन शोध अत्यंत आवश्यक है। एलोपैथ के क्षेत्र में पूरे विश्व में लगातार शोध हो रहे हैं। यदि हम आयुर्वेद में भी शोध को बढ़ावा देंगे, तो निरोग के संकल्प को बेहतर तरीके से साकार किया जा सकेगा।”

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि – “ऐसे अस्पताल हों, जहां एलोपैथी के साथ आयुर्वेद के इलाज की भी सुविधा हो। जिसको जो विधा पसंद हो, वह उस विधा में अपना इलाज कराये। आयुर्वेद का बढ़ना दुनिया के हित में है। मध्यप्रदेश आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विषय में भी विचार करेगा। हमारी सरकार आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अंग्रेजी प्रतिभा को मार रही है। प्रतिभा तो किसी भी भाषा में हो सकती है। इसलिए हमने तय किया कि मध्यप्रदेश की धरती पर मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी भाषा में होगी।”

News & Image Source: Twitter @OfficeofSSC

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