महर्षि श्री अरविंद के विचार राष्ट्रवादी विचारों का शंखनाद : राज्यपाल

0
246

मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि महर्षि श्री अरविंद के विचार हमारी स्वतंत्रता यात्रा में राष्ट्रवादी विचारों का शंखनाद था। उन्होंने भारत केवल देश नहीं है, यह हमारी माँ है, देवी है, यह कहते हुए भारतीय राष्ट्रवादी विचारों को व्यापक आधार प्रदान किया था। राज्यपाल श्री पटेल ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि 13 से 15 अगस्त तक हर घर राष्ट्र ध्वज फहराएँ।

श्री अरविंदों स्कूल में श्री अरविंद सोसायटी के सार्धशती समारोह श्रंखला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि भौतिकतावाद के अंधानुकरण के दौर में श्री अरविंद का शिक्षा दर्शन अंधेरे में प्रकाश की तरह है। कृतज्ञ भारतीय होने के नाते हमारा कर्त्तव्य है कि हम उस राष्ट्रवादी विचार के बनने की प्रक्रिया को समझे जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के मन में था। इस प्रक्रिया को समझने का सबसे प्रभावी माध्यम महर्षि अरविंद का चिंतन हैं, जिन्होंने सांसारिक जीवन को आध्यात्मिकता के साथ नया आयाम दिया है। उनकी आध्यात्मिकता समाज से विमुखता का समर्थन नहीं करती है। उनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति समाज में रहकर ही वंचित वर्ग की मदद करते हुए दैवीय शक्ति प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने महर्षि अरविंद के चिंतन को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति की मूल भावनाओं, भविष्य की चुनौतियों के अनुसार ज्ञान-क्षेत्र के विस्तार का प्रयास किया है। उन्होंने मातृभाषा में शिक्षा के द्वारा विद्यार्थियों में निर्णय करने की शक्ति एवं सृजनात्मक क्षमता के विकास का अवसर दिया है। राज्यपाल ने समारोह का शुभारंभ दीप जला कर किया। उनको स्मृति प्रतीक के रुप में श्री अरविंद साहित्य की पुस्तकों का सेट भेंट किया गया।

पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास और धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा महर्षि श्री अरविंद की सार्धशती मनाने में पूरा सहयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत को जगत गुरू के रुप में स्थापित करने का अवसर है। उन क्रांतिकारियों, राष्ट्र नायक-नायिकाओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है, जिन्होंने हमें स्वाधीन जीवन देने के लिए अपने जीवन का दान कर दिया। सुश्री ठाकुर ने उपस्थित जनों से क्रांतिकारियों के चित्र घर में लगाने की अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक देशवासी शुद्ध चित्त, तन, मन, धन से राष्ट्र निर्माण में जुट जाएँ।

समारोह के मुख्य वक्ता श्री भैय्या जी जोशी ने कहा कि भारत चैतन्यता का प्रतीक है जिसका मूलभूत चिंतन आध्यात्मिकता द्वारा मानवता का कल्याण है। यही कारण है कि बर्बर, क्रूर नारकीय प्रयत्नों और भारतीयता की जड़ों को नष्ट करने के अंग्रेजों के सबसे घातक प्रहारों के बावजूद भारत राष्ट्र का अस्तिव कायम है। विश्व के मार्गदर्शन करने के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा और मनीषियों का ज्ञान बताता है कि विश्व में भारत का सामर्थ्यशाली होना संहारक नहीं, संरक्षक होना है। उन्होंने आधुनिकता और पश्चिमीकरण को समझने और मानसिक गुलामी से मुक्त होकर राष्ट्र भावना को प्रबल बनाना समय की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि मानवता कल्याण भौतिक समृद्धता नहीं, जीवन मूल्यों के संरक्षण में है। भारत को भौतिकता से सुरक्षित रहते हुए नैतिकता के पथ पर चलते हुए और विश्व के कल्याण का दायित्व शिव के समान ग्रहण करना होगा।

कार्यक्रम को श्री अरविंद सोसायटी के उपाध्यक्ष श्री विभाष उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश त्रिवेदी ने भी संबोधित किया। स्वागत उद्बोधन सोसायटी के अध्यक्ष श्री मनोज शर्मा ने और महासचिव श्री सतीश चित्तवार ने आभार माना। संचालन श्री विनय उपाध्याय ने किया।

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here