राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आर्थिक शक्ति के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक शक्ति के रूप में पहचान को मज़बूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आर्थिक शक्ति के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक शक्ति के रूप में उसकी पहचान को मज़बूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया है। आज नई दिल्ली में ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि कला सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाने और समाज को अधिक संवेदनशील बनाने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि भारतीय कला निरंतर विकसित हो रही है और नए आयाम प्रस्तुत कर रही है।
ललित कला अकादमी द्वारा इस वर्ष कलाकारों की बनाई गई कलाकृतियों की बिक्री को बढ़ावा देने पर राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे कलाकारों को वित्तीय सहायता मिलेगी और देश की रचनात्मक अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि कलाकृतियों का उचित मूल्य मिलने से न केवल कलाकारों को बल्कि उन लोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो कला को एक पेशे के रूप में अपनाना चाहते हैं।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि कला और रचनात्मकता किसी राष्ट्र की पहचान को दर्शाती हैं और विविध भाषाओं, परंपराओं और पीढ़ियों को जोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि जब कला घरों, स्कूलों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों का हिस्सा बन जाती है, तभी वह राष्ट्रीय चेतना का अभिन्न अंग बनती है। श्री शेखावत ने कहा कि जब हम कला और कलाकारों का समर्थन करते हैं तो हम निश्चित रूप से राष्ट्रीय भावना को मज़बूत करते हैं।
कार्यक्रम में संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल और ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष डॉक्‍टर नंद लाल ठाकुर उपस्थित थे।

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News & Image Source: newsonair.gov.in

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