रूस और यूक्रेन एक दूसरे के खिलाफ कर रहे नए हथियारों का इस्तेमाल, तीसरा विश्वयुद्ध के कगार पर दुनिया

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मॉस्को/कीव: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच 33 महीने से जारी युद्ध अब नए दौर में प्रवेश करता दिखाई दे रहा है। रूस ने यूक्रेन पर 21 नवम्बर गुरुवार को मध्यम दूरी की नई हाइपरसोनिक मिसाइल दागी थी, जो अपनी तरह का पहला हमला है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि मॉस्को ने यूक्रेन पर मध्यम दूरी की नई हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया है। इसके साथ ही चेतावनी दी कि नई मिसाइलों से और भी हमले हो सकते हैं। रूस ने ये हमला यूक्रेन के अमेरिकी ATACMS और ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को दागने के बाद किया है।

हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन को रूस पर हमला करने के लिए ATACMS मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी, जिसके बाद रूस ने तीसरे विश्व युद्ध की चेतावनी दी थी। अब नए घटनाक्रम से युद्ध नई दिशा में बढ़ता दिख रहा है। रिपोर्ट बताती हैं कि हजारों उत्तर कोरियाई सैनिक रूस में मौजूद हैं और पुतिन की सेना के साथ लड़ रहे हैं। अब संकेत हैं कि इन्हें यूक्रेन में तैनात किया जा सकता है। तो क्या ये घटनाक्रम तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत है?

यूक्रेन के पूर्व कमांडर इन चीफ का दावा

यूक्रेन के पूर्व कमांडर इन चीफ और ब्रिटेन में वर्तमान राजदूत वेलेरी जालुज्नी ने दावा किया है कि रूसे सहयोगियों के उतरने के साथ ही तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया है। कीव इंडिपेंडेंट ने जालुज्नी के हवाले से कहा कि यूक्रेन पर अकेले रूस से नहीं लड़ रहा है। यह उत्तर कोरिया के सैनिकों का सामना कर रहा है। ईरान निर्मित शाहेद ड्रोन यूक्रेन में नागरिकों को खुलेआम मार रहे हैं। उत्तर कोरिया में बनी मिसाइलें यूक्रेन पर दागी जा रही हैं।

कौन हैं रूस के साथ?

रूस ने मध्य पूर्व लेकर अफ्रीका तक और पूर्वी यूरोप में पुराने और नए सहयोगियों के साथ नजदीकी संबंध बनाने की कोशिश की है। रिपोर्ट बताती हैं कि किम जोंग ने अपने हजारों सैनिकों को पुतिन की मदद के लिए रूस में भेजा है। कुर्स्क क्षेत्र में उत्तर कोरियाई सैनिक रूसी सैनिकों के साथ लड़ रहे हैं। इसके साथ ही रूसी सेना तोपखाने और बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए भी तेजी से उत्तर कोरिया पर निर्भर हो रही है।

उत्तर कोरिया के अलावा चीन भी रूस के साथ है। चीन ने रूस के इस दावे का समर्थन किया है कि उसने पश्चिमी उकसावे के कारण 2022 में यूक्रेन पर हमला किया। मध्य पूर्व में अमेरिका का कट्टर विरोधी ईरान भी रूस का साथ दे रहा है। ईरान ने रूस को बड़ी मात्रा में ड्रोन उपलब्ध कराए हैं, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ किया गया है। इसके अलावा रूस का सबसे करीबी सहयोगी बेलारूस और ईरान का सहयोगी सीरिया भी रूस के साथ है।

यूक्रेन के साथ कौन-कौन?

युद्ध शुरू होने के बाद से ही अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सहायता देने वाला सबसे बड़ा देश है। अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन ने सैन्य सहायता को कुल स्तर 61 अरब डॉलर का है। अमेरिका ने हाल ही में लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की भी मंजूरी दी है। अमेरिका के अलावा जर्मनी और ब्रिटेन भी यूक्रेन को सबसे ज्यादा मदद देने वाले देशों में शामिल हैं। ब्रिटेन ने 7.8 अरब पाउंड सैन्य सहायता के लिए दिए हैं। इसके साथ ही ब्रिटेन टैंक और लंबी दूरी की मिसाइलें भी मुहैया करा रहा है। यूक्रेन ने इसी सप्ताह ब्रिटेश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों का इस्तेमाल किया है।

भारत का क्या है रुख?

इसी साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन की यात्रा की थी। उस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन युद्ध में भारत का रुख कभी भी तटस्थ नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत का मानना है कि दोनों पक्षों को समाधान खोजने के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत करने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ कई मुलाकातों में कहा है कि यह युद्ध का दौर नहीं है और भारत शांति के पक्ष में है। हालांकि, पश्चिमी देशों ने भारत को मॉस्को की तरफ झुकाव वाले नजरिए से देखा है, क्योंकि उसके रूस से ऐतिहासिक संबंध और ऊर्जा निर्भरताएं हैं।

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News & Image Source: khabarmasala

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