मीडिया सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में बेरोजगारी के बीच चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में 1.76 करोड़ लोगों को काम मिला है। वित्त वर्ष यह 2016-17 के बाद से सबसे अधिक वृद्धि है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 40.57 करोड़ लोगों के पास काम था। 2023-24 में यह बढ़कर 42.33 करोड़ हो गया। आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 की तुलना में 2023-24 में रोजगार लगभग 4.3 प्रतिशत बढ़ा है। रोजगार दर 2022-23 में 36.5 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 37.2 प्रतिशत हो गई। सबसे ज्यादा रोजगार कृषि और सेवा क्षेत्र में है। कुल रोजगार में इनका हिस्सा करीब 35-40 प्रतिशत है। उद्योग का हिस्सा 25 प्रतिशत है।
जानकारी के लिए बता दें कि,वित्त वर्ष 2023-24 में रोजगार में वृद्धि मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र में भारी तेजी के कारण हुई। कृषि क्षेत्र में भी नौकरियां बढ़ीं, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई। सेवा क्षेत्र में वित्त वर्ष 2016-17 के बाद रोजगार का रिकॉर्ड बना है। इसी अवधि में कुल रोजगार में सेवाओं की नौकरियों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022-23 में 36.6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 38.9 प्रतिशत हो गई। पिछले वित्त वर्ष की हिस्सेदारी कोरोना महामारी से पहले के वर्षों से भी ज्यादा अच्छी है। आंकड़ों के अनुसार, सेवा क्षेत्र में लगभग 70 प्रतिशत कार्यबल खुदरा व्यापार, होटल और पर्यटन और व्यक्तिगत गैर-पेशेवर सेवाओं में कार्यरत है। 2023-24 में सेवा क्षेत्र में 1.6 करोड़ को नौकरियां मिलीं। इसमें से करीब 96 लाख को व्यक्तिगत गैर-पेशेवर सेवाओं में नौकरियां मिलीं। इनमें नाई, बढ़ई, प्लंबर जैसी कुशल नौकरियां शामिल हैं। गैर-कुशल सेवा प्रदाता जैसे माली, चौकीदार, समाचार पत्र वितरक भी शामिल हैं। सेवा क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरियां खुदरा व्यापार में हैं। इसमें मॉल, राशन की दुकानों में काम करने वाले, फेरीवाले और खुदरा बाजारों में छोटे व्यापारी समेत अन्य लोग हैं। 2023-24 में खुदरा व्यापार में 6.88 करोड़ लोग काम कर रहे थे। खुदरा व्यापार में रोजगार 2022-23 में बढ़ने के साथ 2023-24 में भी ऊंचे स्तर पर रहा। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक, सेवा क्षेत्र की नौकरियों में व्यक्तिगत गैर-पेशेवर सेवाओं की नौकरियों का हिस्सा वित्त वर्ष 2022-23 में 13.6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 18.1 प्रतिशत हो गया। वित्त वर्ष 2020-21 और 2022-23 के बीच यह अनुपात 20.2 प्रतिशत से घटकर 13.6 प्रतिशत तक चला गया था।
Image Source : geeksforgeeks
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