मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, धनतेरस के दिन लखनऊ शहर में मंगलवार को दोपहर तक सुस्त पड़े बाजार में शाम होते-होते रौनक लौट आई। महंगाई के बाद भी बाजार पर खूब धनवर्षा हुई। मंगलवार को शुभ मुहूर्त लगते ही ग्राहकों की भीड़ खरीदारी के लिए बाजार पहुंची। 80 हजार/10 ग्राम पार होने के बावजूद सोने की बिक्री पर असर नहीं पड़ा। बल्कि सर्राफा कारोबार में 30 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके अलावा ऑटोमोबाइल, रियल स्टेट और इलेक्ट्रॉनिक सामान भी खूब बिके। त्योहार भले महीने के आखिर में पड़ा हो पर सैलरी एक तारीख से पहले आने के कारण भी लोगों ने खूब खरीदारी की।
लखनऊ में इस बार धनतेरस पर 3613 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई, जो कि पिछले साल की तुलना में 313 करोड़ रुपये अधिक है। इस बार धनतेरस पर बाजार में वोकल फॉर लोकल का बोलबाला दिखा। झालरों में खासतौर पर लोग चाइनीज झालर से परहेज करते नजर आए। वजह थी, ऐसी झालरों का जल्द खराब होना।
दिवाली से पहले बाजार में कारोबार में आई तेजी से कारोबारियों को बूस्टर डोज मिला है। सोने के दाम में तेजी से निपटने के लिए जूलर्स ने पहले से ही लाइट वेट जूलरी स्टॉक तैयार रखा था। लाइट वेट मंगलसूत्र, रिंग, नेकलेस, पायल सहित अन्य ऑर्नामेंट्स की बिक्री हुई जबकि चांदी में भी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की जमकर बिक्री हुई है। पिछले साल धनतेरस पर सराफा बाजार में करीब 480 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।
इस बार 30 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसी तरह ऑटोमाबाइल सेक्टर में भी टू-वीलर और फोर-वीलर की बिक्री में बढ़त दर्ज की गई। खास बात यह रही कि ज्यादातर ग्राहकों ने ईवी को तवज्जो दी। आरटीओ के मुताबिक 112 ईवी कारें बिकीं, जबकि टू-वीलर में ज्यादा माइलेज निकालने वाली बाइकों का बोलबाला रहा।
इसके अलावा रियल स्टेट में 430 करोड़ का कारोबार हुआ। रजिस्ट्री ऑफिस देर रात तक खुला रहा। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, बर्तन, रेडिमेड गारमेंट्स, पटाखा, मोबाइल फोंन और मिठाई की भी खूब बिक्री हुई।
हाथ में पैसा तो महंगाई कैसी?
कारोबारियों का कहना है कि महीने की अंतिम तारीख को धनतेरस और दिवाली जैसा त्योहार पड़ा, लेकिन प्राइवेट से लेकर सरकारी सेक्टर में कर्मचारियों व अधिकारियों को सैलरी बांटी जा चुकी है। कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों को सैलरी के साथ बोनस भी दिया है, जिसका असर बाजार में धनवर्षा के रूप में देखने को मिला।
सेक्टर कारोबार (करोड़ रु.)
ऑटोमोबाइल 1,480
फोर-वीलर 930 करोड़
टू-वीलर 550 करोड़
सराफा 510 करोड़
सोना 400 करोड़
चांदी 110 करोड़
रियल एस्टेट 430 करोड़
फ्लैट 210 करोड़
प्लॉट, मकान-220 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक 290 करोड़
बर्तन-क्रॉकरी 200 करोड़
कपड़ा 240 करोड़
ड्राईफ्रूट, मिठाई 185 करोड़
पटाखे 45 करोड़
मोबाइल 155 करोड़
फर्नीचर 11 करोड़
सजावट सामग्री 55 करोड़
गिफ्ट पैक 12 करोड़
कुल 3613 करोड़ (लगभग)
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