मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लद्दाख में वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया जब मार्च माह में पहली बार करगिल के सुरू घाटी स्थित संग्राह क्षेत्र में एक हिम तेंदुए को अपने शिकार, एक आइबेक्स (जंगली बकरी), के साथ देखा गया। यह दुर्लभ दृश्य वन्यजीव खोजकर्ता मक़बूल हुसैन मक़दसी द्वारा दर्ज किया गया, जो इस क्षेत्र में दुर्लभ वन्यजीव प्रजातियों की खोज और निगरानी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं।
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद करगिल के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी पार्षद डॉ. मोहम्मद जाफर अखून ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर वन्यजीव विभाग और श्री मक़दसी को बधाई दी। डॉ. अखून ने बताया कि लद्दाख में कुल चार सौ सत्ततर-477 हिम तेंदुए पाए जाते हैं, जिनमें से एक सौ सताइस-127 करगिल में पहचाने जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह दृश्य न केवल क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाता है, बल्कि ईको-टूरिज़्म और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोलता है।
सुरू घाटी, जिसे हाल ही में नेशनल जियोग्राफिक की दुनिया के शीर्ष 25 स्थलों में शामिल किया गया है, अब सतत वन्यजीव पर्यटन का एक संभावित केंद्र बनती जा रही है। वन्यजीव खोजकर्ता श्री मक़दसी ने इस खोज को सुरू घाटी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया और क्षेत्र की नाज़ुक पारिस्थितिकी प्रणाली की रक्षा के लिए जिम्मेदार पर्यटन की आवश्यकता पर बल दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विकास दुनिया भर से वन्यजीव शोधकर्ताओं, फ़ोटोग्राफ़रों और ईको-पर्यटकों को आकर्षित करेगा, जिससे करगिल को एक जैव विविधता से समृद्ध गंतव्य के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
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News & Image Source: newsonair.gov.in