मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने आतंकवाद, आर्थिक अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन से की चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियाँ आपस में जुड़ी हैं और राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के प्रतिस्पर्धी पहलुओं से आगे बढ़कर अधिक सहयोग का दृष्टिकोण अपनाने पर ज़ोर दिया। डॉ. जयशंकर ने नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिये सैनिकों के योगदानकर्ता देशों के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि देश ने हमेशा सभी समाजों और लोगों के लिए न्याय, सम्मान, अवसर और समृद्धि की वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत शांति स्थापना को एक सभ्यतागत लोकाचार मानता है और दुनिया को एक परिवार मानता है। उन्होंने बहुपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी में देश के विश्वास पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक स्थित , विश्व मामलों की जटिलताएँ और संघर्षों की प्रकृति ने शांति स्थापना को आकार दिया है। उन्होंने शांति सैनिकों को विषम खतरों से निपटने, अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने मिशनों को पूरा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए निगरानी प्रणालियों, सुरक्षात्मक उपकरणों, साइबर क्षमताओं और उच्चतम मानकों वाली मिशन तैयारियों की आवश्यकता होगी।
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News & Image Source: newsonair.gov.in



