प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोथल, गुजरात में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की समीक्षा बैठक ली। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, सदियों पहले के भारत का व्यापार-कारोबार दुनिया के एक बड़े हिस्से में छाया हुआ था। हमारे रिश्ते दुनिया की हर सभ्यता के साथ रहे, तो इसके पीछे भारत की समुद्री शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका थी। उन्होंने कहा कि, हमारे इतिहास की अनेक गाथाओं को भुला दिया गया है, उन्हें सुरक्षित करने और अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के रास्ते नहीं खोजे गए। इतिहास की उन घटनाओं से हम कितना कुछ सीख सकते थे। भारत की समुंद्री विरासत भी एक ऐसा ही विषय है, जिनके बारे में बहुत कम चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि, हजारों वर्ष पहले कच्छ में बड़े बड़े समुद्री जहाजों के निर्माण का पूरा उद्योग चला करता था। भारत में बने पानी के बड़े बड़े जहाज दुनियाभर में बेचे जाते थे विरासत के प्रति इस उदासीनता ने देश का बहुत बड़ा नुकसान किया। ये स्थिति बदली जानी जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि, छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी एक सशक्त नौसेना का गठन किया और विदेशी आक्रांताओं को चुनौती दी। ये सब कुछ भारत के इतिहास का ऐसा गौरवपूर्ण अध्याय है, जिसे नजरअंदाज ही कर दिया गया।
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