भोपाल : मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भोपाल में स्थित 235 साल पुराना सुल्तानिया अस्पताल अब अपने पारंपरिक स्वरूप को बदलकर हाईटेक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के रूप में नई पहचान बनाने जा रहा है. 136 करोड़ की लागत से सुल्तानिया अस्पताल की अत्याधुनिक बिल्डिंग बनाई जा रही है. इस बिल्डिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा रहा है. जिसके चलते इसे ठंडा करने के लिए एसी भी चलाने की जरुरत नहीं होगी. यह प्रदेश का पहला ऐसा सरकारी हास्पिटल होगा, जहां ऑपरेशन थिएटर में रोबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होगी.
दरअसल, सुल्तानिया अस्पताल के नए बिल्डिंग को ‘अंग्रेजी के I’ अक्षर के आकार में डिज़ाइन किया गया है, जिससे प्राकृतिक रोशनी और हवा का अधिक से अधिक उपयोग होगा. बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी का दावा है कि इसके तीन फ्लोर में एयर कंडीशनर (AC) की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. जिससे बिजली की अच्छी खासी बचत हो जाएगी. हालांकि, ICU और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में AC लगाना ही पड़ेगा. अस्पताल की छत पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पार्किंग भी बनाए जाएंगे. जहां, चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध होंगे
अत्याधुनिक हाईटेक स्वास्थ्यसुविधाओं के मामले में यह जिले का सबसे आधुनिक केंद्र होगा. जहां पर रोबोटिक सर्जरी, मिनिमल इनवेसिव प्रोसीजर और स्मार्ट मॉनिटरिंग जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं वो भी सरकारी अस्पताल में एक साथ मिलेंगी. ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी ब्लॉक को अलग-अलग बनाया गया है. ताकि मरीजों की भीड़ ना लगे और आसानी से उनका इलाज किया जा सके.
अंग्रेजी के आई अक्षर के शेप में बन रही इस बिल्डिंग के ज्यादातर हिस्से में प्राकृतिक रोशनी सीधे जाएगी। छत पर सोलर पैनल लगेंगे। इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए पार्किंग में चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इस सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य 136 करोड़ की लागत से अगस्त 2026 तक पूरा हो जाएगा।
स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में ये जिले का पहला ऐसा अस्पताल होगा, जहां ऑपरेशन थिएटर (OT) में रोबोटिक सर्जरी होगी। मिनिमल इनवेसिव प्रोसीजर और स्मार्ट मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं पहली बार किसी सरकारी सेटअप में एक ही छत के नीचे मिलेंगी।
ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी अलग-अलग ब्लॉक में रहेंगे
अस्पताल में ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी के अलग-अलग ब्लॉक बनाए गए हैं, जिससे गंभीर मरीज, भर्ती मरीज और सिर्फ ओपीडी में दिखाकर लौट जाने वाले मरीज एक-दूसरे से अलग रहेंगे। गंभीर और भर्ती मरीज ओपीडी की भीड़ से बच सकेंगे। इनकी जांच और बिलिंग भी अलग-अलग होगी।
जिला स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि यह पहला अस्पताल है, जिसके निर्माण के लिए हॉस्पिटल प्लानर नियुक्त किया था। सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि पुराने सुल्तानिया की सेवा परंपरा और नए दौर की तकनीक का यह संगम हाेगा, जिससे राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था को अगले स्तर पर ले जाने वाला है।
अस्पताल का फर्स्ट फेज अगस्त 2026 तक पूरा करने की डेडलाइन रखी है। इसमें अस्पताल में जच्चा-बच्चा से लेकर बुजुर्गों और संक्रामक रोगों के मरीजों को इलाज मिलने लगेगा।
यहां 24×7 इमरजेंसी सेवा मिलेगी। मरीजों को लाने ले जाने के लिए एम्बुलेंस सेवा के साथ मृतकों के लिए शव वाहन मुहैया कराए जाएंगे। अलग से ट्रॉमा केयर यूनिट होगी, जिसमें दुर्घटना की चपेट में आए मरीजों का इलाज किया जाएगा। लेजर मशीनों से लैस एडवांस फिजियोथेरेपी यूनिट बनाई जाएगी।
अस्पताल के फर्स्ट फेज में ये सुविधाएं मिलने लगेंगी
मेटरनिटी विंग : एक सप्ताह पहले भर्ती हो सकेंगी महिलाएं प्रसूति प्रतीक्षालय बनाया जा रहा है, जहां डिलीवरी डेट से एक सप्ताह पहले महिलाएं भर्ती हो सकेंगी, जिससे एनवक्त पर दौड़-भाग से बच सकेंगी। लेबर रूम, वार्ड, सोनोग्राफी, ब्लड टेस्ट समेत अन्य सुविधाओं के लिए बिल्डिंग में डेडिकेटेड एरिया होगा। एडवांस ओटी में हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के इलाज की भी व्यवस्था रहेगी।
पीडियाट्रिक विंग : बच्चों के इलाज से खेलने तक की सुविधा गंभीर स्थिति वाले नवजात शिशु के इलाज की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए नियोनेटल आईसीयू तैयार किया जा रहा है। सामान्य बच्चों को भर्ती करने के लिए पीडियाट्रिक वार्ड होगा। पीआईसीयू, टीकाकरण केंद्र और प्ले रूम भी रहेगा। इस विंग में 51 बच्चों को रखने की व्यवस्था की जा रही है।
जिरिएट्रिक यूनिट : बुजुर्गों के लिए डे-केयर वार्ड भी बन रहा अस्पताल में बुजुर्गों के लिए जिरिएट्रिक वार्ड और डे-केयर वार्ड भी होंगे। यह सुविधा सिर्फ 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए होगी। यहां उनकी जरूरतों के हिसाब से व्यवस्थाएं की जाएंगी। यहां लगाए जाने वाले सभी 10 बेड की हाइट भी एडजस्टेबल होगी, ताकि उन्हें बेड से उठने या बैठने में समस्या न हो।
जिले के किसी अस्पताल में ये सुविधाएं एक साथ नहीं अस्पताल के सेकेंड फेज में यहां रोबोटिक सर्जरी से लेकर स्पेशलिटी विंग तैयार होंगी। इनके लिए बिल्डिंग में पहले से प्रावधान किए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार सेकेंड फेज के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। यही कारण है कि भवन के प्लान में बदलाव किए गए, जिससे इन यूनिट के लिए पहले से जगह चयनित की जा सके। यही कारण रहा कि इसके निर्माण का बजट 50 करोड़ से अधिक बढ़ाया गया।
सेकेंड फेज में यह सुविधाएं मिलेंगी
डर्मेटोलॉजी – त्वचा, बाल और नाखून से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी – दिमाग, नसों और रीढ़ की बीमारियों का इलाज और सर्जरी होती है।
कार्डियोलॉजी – हृदय और ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
एंडोक्रिनोलॉजी – डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा और हार्मोन संबंधी बीमारियों का इलाज होता है।
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी – पेट, आंत, लिवर और पाचन तंत्र की बीमारियों का इलाज किया जाता है।
कार्डियक सर्जरी – हृदय की गंभीर बीमारियों और ब्लॉकेज का ऑपरेशन किया जाता है।
यूरोलॉजी – किडनी, ब्लैडर और पेशाब की नली से जुड़ी बीमारियों का इलाज होता है।
कैंसर विभाग – कैंसर की पहचान, दवा, किरणों और सर्जरी से इलाज किया जाता है।
CMHO बोले- बड़ी आबादी को राहत मिलेगी सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि पुराने शहर में लंबे समय से एक अतिरिक्त अस्पताल की जरूरत थी। यह अस्पताल का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके शुरू होने से पुराने शहर की बड़ी आबादी को राहत मिलेगी।
यहां हर प्रकार की सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। मॉड्यूलर ओटी बनाई जा रही है। इसका एक कारण यह कि इन ओटी में हर मॉडर्न तकनीक को इंस्टॉल किया जा सकता है।
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